पूषानपत्य: पिष्टदो भग्रदन्तोऽभवत् पुरा योऽसौ दक्षाय कुपितं जहास विवृतद्वज: अर्थ- संतानहीन पूषा ने एक बार बहुत बड़ी भूल की थी, भगवान शंकर दक्षयज्ञ को तहस-नहस करने आए थे। तब पूषन दांत दिखाकर हंस रहे थे, इससे शिव को क्रोध आ गया। उन्होंने इनके दांत तोड़ दिए, दांत नहीं होने के कारण ये तरल रूप में ही भोजन ग्रहण करते हैं। इनके पास सोने का एक भाला और एक अंकुश रहता है। Pushan । lord shiva facts in hidni । Rig Veda Secrets । bholenath । shankar । mahadev । Parvati । shiv shambhu । BhaktiSarovar